Net-zero Emissions by 2050, India भारत का लक्ष्य
Net-zero Emissions by 2050, India क्या हैं?
Net-zero emissions क्या है? or Net-zero Emissions by 2050, India क्या है? Net-zero emissions यानि किसी देश के द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस (greenhouse gases) गैसों जैसे की carbon dioxide, methane, nitrous oxide आदि की की मात्रा उसके बराबर हो जितनी ग्रीन हॉउस गैसों को उसने वायु मंडल से अवशोषित यानि की absorb की हो सरल भाषा में जो देश जितना प्रदूषण वायु मंडल में फैलाता है उतना ही प्रदुषण उसे वायुमंडल से सोखना होगा यानि काम करना होगा इसे ही हम नेट जीरो एमिशन के नाम से जानते है यानि की एक कार्बन न्यूट्रल (carbon neutral) देश। जिसके लिए 2050 का टारगेट रखा गया है। और नवम्बर नवंबर 2023 डाटा के अनुसार 145 देशो ने ये घोषणा की थी की वे इस प्रोग्राम में भाग लेंगे।

Table of Contents
- Net Zero क्या है?
- नेट जीरो क्यों आवश्यक है?
- चुनौतियां (Challenges)
- 3.1 कोयला पर निर्भरता
- 3.2 आर्थिक लागत
- 3.3 प्रौद्योगिकी तक पहुंच
- अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और सम्मेलनों का आयोजन
- 4.1 पेरिस समझौता (2015)
- 4.2 Conference of Parties (COP)
- भारत का नेट-जीरो लक्ष्य
Net-zero Emissions by 2050, India क्यों आवश्यक है?

नेट-जीरो केवल एक लक्ष्य नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से बचने का एकमात्र तरीका है। यूनाइटेड नेशन (united nation) के अनुसार अगर हमें इस गृह को हमारे रहने लायक बनाए रखना हे तो हमें इसके तापमान को जो की 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना होगा और इसके लिए कठोर कानून बनाने होंगे नहीं तो हमें इसके भयंकर परिणाम देखने को मिल सकते है और इंसानो के साथ साथ बाकि भी प्रजातियों को इसके परिणाम भुगतने होंगे, और अगर हमें ग्लोबल वॉर्मिंग (global warming) को रोकना है बायोडायवर्सिटी (Biodiversity) और इकोलॉजी (ecology) बचाना और समुद्र के स्तर में वृद्धि रोकने के लिए नेट-जीरो ही एक मात्र रास्ता है।
चुनौतियां (Challenges)
नेट जीरो को तक पहुंचने के लिए कई सारी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा जैसे की
कोयला पर निर्भरता: भारत अभी भी अपनी 70% बिजली कोयले से उत्पन्न करता है और इसे काम करने में समय लगेगा।
आर्थिक लागत: ग्रीन एनर्जी के लिए Basic Infrastructure तैयार करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी।
प्रौद्योगिकी (Technology) तक पहुंच: इसके लिए हमें सस्ती और एडवांस तकनीक की आवश्यकता होगी।
अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और सम्मेलनों का आयोजन
Net Zero तक पहुंचने के लिए कई सरे देश आगे आये है और अब तक कई अंतराष्ट्रीय समझौते भी हो चुके है जैसे:
पेरिस समझौता (2015): पेरिस समझौता (2015) ये समझोता जलवायु परिवर्तन (climate change) को रोकने के लिए 2015 में किया गया था औरह सबसे बड़ा कदम था जहां 195 देशों ने ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5°C तक सीमित करने का वादा किया। इसके कुछ उद्देश्य थे वैश्विक तापमान कम करना, ग्रीनहाउस गैसों को कम करना, विकसित और विकासशील देशों की मदद करना, हर 5 साल में हुई प्रगति की समीक्षा करना हालांकि की इसमें कोई देश क़ानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं सभी देश अपने अनुसार कदम उठा सकते है।

यह सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है। जहा दुनिया के बाकि देश मिलकर जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करते हैं, और नए कानून बनाते हैं, और इसी साल यानि वर्ष 2024 का Conference of the Parties या COP29 को अज़रबैजान (Azerbaijan) की राजधानी बाकू (Baku) में आयोजित किया गया था।
भारत का नेट-जीरो लक्ष्य (Net-zero Emissions by 2050, India)
भारत दुनिया के उन 6 उन गिने चुने देशों में आता हैं जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन एमिशन करते हैं और भारत ने ग्लासगो COP26 (2021) में ये घोषणा की थी की भारत वर्ष 2070 तक एक नेट जीरो देश बन जायेगा और भारत का ये लक्ष्य ये भी हम 2030 तक हमारे कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन कम करेंगे। जिसके लिए भारत कई आवश्यक कदम उठाएगा जैसे की कोयले पर निर्भरता काम करेगा, ऊर्जा दक्षता energy efficiency में सुधार लाएगा वनों का संरक्षण और विस्तार करेगा और साथ साथ 2030 तक भारत अपनी 50% ऊर्जा ज़रूरतों को नवीकरणीय स्रोतों (सोलर, पवन ऊर्जा) से पूरा करेगा।
हालांकि भारत जैसे विशाल देश के लिए ये एक चुनौती भरा काम लेकिन भारत ने 2070 तक का लक्ष्य तय करके बाकि देशों को एक उम्मीद की किरण दिखाई है ताकि बाकि देश भी अपना निर्धारित लक्ष्य तय करे और उसे प्राप्त करने के लिए कार्य करे और जलवायु परिवर्त से लड़ा जा सकते और इसके खतरे को काम किया जा सके।